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Mangal Prawas - 1 (hindi, paperback)

by
Prof. Jagdish Rai(Author)

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Product details
isbn
9789390765119
dimension
inch
pages
93
Publication Date
July, 2021
language
hindi
About the Book
मंगल प्रवास (एक विज्ञान उपन्यास) पुस्तक के लेखक प्रो. जगदीश राय बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, भारत से भौतिकी विज्ञान में पीएचडी हैं और लगभग 35 वर्षों तक भारत के उत्तराखंड के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के भौतिकी विज्ञान के प्रोफेसर थे। उनके क्रेडिट में उनके लगभग 200 शोध प्रकाशन हैं। प्रो. राय ने रेडियो एस्ट्रोनॉमी संस्थान, यूनिवर्सिटी ऑफ़ बान, जर्मनी में काम किया था। उनको अलेक्जेंडर फॉन हुम्बोल्ट फेलोशिप प्रदान की गयी थी। न्यू मैक्सिको इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड टेक्नोलॉजी, न्यू मैक्सिको, यूएसए, टोरंटो विश्वविद्यालय, कनाडा और क्लेम्सन विश्वविद्यालय, साउथ कैरोलिना में वे विजिटिंग प्रोफेसर रहे। वे इन्वर्टिस विश्वविद्यालय बरेली, भारत के कुलपति थे। प्रो. राय को विभिन्न पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। उन्हें उच्च शिक्षा में योगदान के लिए भारतमाता पुरस्कार मिला, विश्व शिक्षा कांग्रेस द्वारा उत्कृष्ट उच्च शिक्षा में योगदान के लिए वैश्विक पुरस्कार, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दी गई उच्च शिक्षा में उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रीय उत्तर प्रदेश पुरस्कार आदि मिले। उन्हें इंटरनेशनल एजुकेटर्स ग्रुप, वाशिंगटन डीसी, यूएसए का डिस्टिंगुइश्ड फेलो बनाया गया। वे कई विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के सलाहकार भी हैं। आजकल वे स्टेम इंस्टिट्यूट, वाराणसी के अध्यक्ष हैं।
About Author
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की में मैंने एक कोर्स बनाया था और उसे पढ़ाया भी था। उस कोर्स का नाम हैं स्पेस साइंस एंड टेक्नोलाँजी (Space Science and Technology)। यह कोर्स बहुत ही प्रसिद्द हुआ था। इस दौरान मुझे स्पेस एक्सप्लोरेशन के विषय में बहुत जानकारी प्राप्त हुयी। योग के अंत में अक्सर शवाशन किया जाता हैं। इस आसन में मन को एकाग्र चित्त होकर एक बिंदु पर लगाते हैं। इस आसन के दौरान मै हमेशा कल्पना करता था कि स्पेस क्राप्ट के अन्दर शून्य गुरुत्वाकर्षण में औरत और पुरुष को तैरते हुये। कभी कभी मंगल ग्रह पर बसने की भी कल्पना करता था। ये विचार इतने प्रबल हो गये कि मै यह उपन्यास लिखने बैठ गया। जुलाई से सितम्बर 2019 तक मै अमेरिका में रहा। अधिकतर मैं न्यूयार्क प्रदेश की राजधानी अल्बनी में रहा। मेरी पत्नी श्रीमती किरण राय ने मेरा उत्साह वर्धन किया और पुत्र श्री विशाल राय एवं पुत्रवधू श्रीमती अर्जिता राय ने उचित अवसर प्रदान किया और मैंने यह किताब लिख डाली। पुस्तक में मंगल पर बसने के लिये कई वैज्ञानिक तरीको को अपनाया गया हैं। सभी तकनीक पर रिसर्च हुआ हैं और, सभी क्रिया कलाप संभावित हैं।