Antardhara
by Vashisth Goenka
About the book
मनुष्य ही एक ऐसा जीव है जो जन्म लेने के बाद से ही इंसान बनने की ओर अग्रसर होता है। इस राह पर जीवन में मिले अनुभवों का विशेष स्थान है। चाहे बचपन में किसी गरम चीज़ के छूने का या युवावस्था में साथियों से मित्रता का। दाम्पत्य जीवन के में सुख दुःख को बाटने के अनुभव या वृद्धावस्था में असल ज़रुरत और उनकी कमी का अनुभव। इन सभी अनुभवों के बिना एक जीवन की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती। कुछ अनुभव स्वयं प्राप्त होते हैं और कुछ अन्य लोगों के जीवन से प्राप्त होते हैं। इनके सामान्य अथवा प्रभावशाली होने से अधिक, इनसे प्राप्त सीख का जीवन में सारगर्भित होना आवश्यक है। ऐसे ही कुछ अच्छे-बुरे, सरल-दुर्लभ, प्रत्यक्ष-तिरोभूत अनुभवों को कविता के माध्यम से इस संग्रह में प्रकाशित किया गया है। समसामयिक विषयों और उनसे जुड़े अनुभव जहाँ एक ओर पाठक की स्मृतियों को जागृत करते हैं , वहीं कवि द्वारा अभिव्यक्त भाव एक नए दृष्टिकोण को भी अंकुरित करने का प्रयास करते हैं। आशा है कि इस संग्रह में प्रकाशित कविताओं के भाव पाठक ह्रदय को स्पर्श कर सकेंगे और उन्हें पसंद आएंगे।
About author
मिर्ज़ापुर शहर में जन्म हुआ और यही से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की । हिंदी कविताओं के पाठन में बचपन से ही रुचि रही । किशोरावस्था से ही कई छोटी बड़ी कविताओं का लेखन प्रारंभ हुआ । इन शब्दों में परिपक्वता पुणे एवं जमशेदपुर में स्नातकोत्तर करने के दौरान आई । सन 2011 से व्यापार में सम्मिलित होने के उपरांत भी कविता लेखन ने एक सच्चे मित्र की भांति साथ बनाए रखा । विभिन्न परिस्थितियों में प्राप्त अनुभूतियों को कवि ने सरल हिंदी भाषा में कविता रूप देने का प्रयास किया है । गत दस वर्षो में कवि के अनुभवों को पचास कविताओं के माध्यम से इस संस्करण में प्रकाशित किया गया है । अंतरधारा अपने नाम के अनुसार ही समाज में विद्यमान समसामयिक विषयों और उनसे जुड़े अनुभवों समावेश है ।
Book Details
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