Vichaar Kraanti Satsang ke Divya Pustak
by Sandeep Kumar Singh
About the book
इस पुस्तक में समाज के बदलते परिवेश को लेकर विचार क्रान्ति के माध्यम से समाज के हर वर्ग के द्वारा उत्पन्न आचरण से जो पीड़ा जन्म ले रही है उस पीड़ा को लेकर लेखक ने इस पुस्तक में प्रकाश डालने की कोशिश की है। जिसमें किसान, नौजवान, राजनेता, अधिकारी, व्यापारी, स्त्री, पुरुष आदि सभी को लेकर कुछ तथ्यों के साथ लेखक ने चर्चा की है और इसके लिए धर्म ग्रंथों से कुछ प्रमाणों का संकलन उदाहरण भी पेश कर रहे हैं।
इस पुस्तक के विषय जीवन के ऐसे आयामों को छूते हैं, जिन पर चिंतन करना वर्तमान समय की प्राथमिक आवश्यकता सा प्रतीत होता है। यह पुस्तक हमारे आज के विकास और प्रगति के बीच उठे हुए विरोधाभास पर कुछ ठोस सवाल उठाती है, और उनके समाधान पर लेखक के मन्तव्य भी स्पष्टता के साथ प्रस्तुत करती है।
सरल भाषा में पूरी गंभीरता के साथ रचित, चयनित और सम्पादित ये लघु कथ्य पाठकों को अवश्य ही अत्यंत रोचक और प्रेरक लगेंगे। हम आशा करते हैं कि यह संग्रह सभी सुधीजन पाठकों के मानकों पर खरा उतरने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा।
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